Tuesday, March 22, 2011

 ज़िंदगी के रंग ....... 


 बिखर जाएंगे हर तरफ, अब ज़िंदगी के रंग |
झूमती ये ज़मी होगी, गुनगुनाएगी पवन      ||

वक्त की आंधी में, उड़ गए थे कभी जो रंग    |
मुस्कराते गुलाल की, खो गयी थी जो उमंग ||

गुमशुदा एहसासों की वही पहचान लेकर ,
आज लौट आया है बसंत ||


बिखर जाएंगे हर तरफ, अब ज़िंदगी के रंग ||
झूमती ये ज़मी होगी, गुनगुनाएगी पवन      ||

दिलों के बीच की सारी, सिमट जाएँगी ये दूरियां |
मतवालों से बचकर कहाँ  जाएँगी अब खुशियाँ ||

थके निढाल सपनों को,
मिल जाएगा अब गगन ||

बिखर जाएंगे हर तरफ, अब ज़िंदगी के रंग ||
झूमती ये ज़मी होगी, गुनगुनाएगी पवन      ||